Book: पुस्तक: भारत की पहचान – धर्मपाल की दृष्टि में (धर्मपाल -Dharampal))
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कोई भी समाज अपने स्वत्व में ही अपनी नियति को पहचान और पा सकता है।
ब्रिटिश अधिपत्य और उससे उत्पन्न औपनिवेशिक मानसिकता ने भारत को उसकी आत्मा से विलग करने के प्रभावी प्रयास किये है।
यह भारतीय चित्त की अंतर्निहित ऊर्जा ही है जिसके कारण यह प्रयास पूरी तरह सफल नही हो पाया और
आज भी स्वदेशी व्यवस्थाओं पर देश-समाज को खड़े करने के प्रयास हो रहे है।
कोई भी समाज अपने स्वत्व में ही अपनी नियति को पहचान और पा सकता है।
ब्रिटिश अधिपत्य और उससे उत्पन्न औपनिवेशिक मानसिकता ने भारत को उसकी आत्मा से विलग करने के प्रभावी प्रयास किये है।
यह भारतीय चित्त की अंतर्निहित ऊर्जा ही है जिसके कारण यह प्रयास पूरी तरह सफल नही हो पाया और
आज भी स्वदेशी व्यवस्थाओं पर देश-समाज को खड़े करने के प्रयास हो रहे है।
Additional information
Weight | 150 g |
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