
अग्रिम बुकिंग: विशेष भादवे (भाद्रपद माह) का घी / Advance Booking: Premium Bhadwa Ghee – 500ml & 1000ml सीमित मात्रा में उपलब्ध
₹1,800.00 – ₹3,500.00
Product details
वर्ष में एक बार आने वाला अवसर
लाभ अवश्य उठाएं
क्यों चमत्कारी है भादवे (भाद्रपद माह) का गोघृत?
इस वर्ष भाद्रपद मास 20 अगस्त से 18 सितम्बर 2024 तक रहेगा
अग्रिम बुकिंग पर डाक खर्च बचाएँ *(केवल एक लीटर पैक पर), निशुल्क डाक खर्च अवसर 10 अगस्त 2024 तक के आर्डर पर
Save Shipping charges *(only on 1 litre pack) if advance booking done before 10th August 2024
अग्रिम बुकिंग 22 जुलाई 2024 से आरम्भ
घी की डिलीवरी 01 सितम्बर 2024 से आरम्भ
(सीमित स्टॉक)
Advance booking starts from 22nd July 2024 (Limited stock)
Shipping of Ghee starts from 01st Sep 2024
Please fill in the fields below with the shipping destination details in order to calculate the shipping cost.
Description
Product details
वर्ष में एक बार आने वाला अवसर
लाभ अवश्य उठाएं
क्यों चमत्कारी है भादवे (भाद्रपद माह) का गोघृत?
इस वर्ष भाद्रपद मास 20 अगस्त से 18 सितम्बर 2024 तक रहेगा
अग्रिम बुकिंग पर डाक खर्च बचाएँ *(केवल एक लीटर पैक पर), निशुल्क डाक खर्च अवसर 10 अगस्त 2024 तक के आर्डर पर
Save Shipping charges *(only on 1 litre pack) if advance booking done before 10th August 2024
अग्रिम बुकिंग 22 जुलाई 2024 से आरम्भ
घी की डिलीवरी 01 सितम्बर 2024 से आरम्भ
(सीमित स्टॉक)
Advance booking starts from 22nd July 2024 (Limited stock)
Shipping of Ghee starts from 01st Sep 2024
क्यों चमत्कारी है भादवे (भाद्रपद माह) का गोघृत?
इस वर्ष भाद्रपद मास 20 अगस्त से 18 सितम्बर 2024 तक रहेगा
शास्त्रों में सर्वश्रेष्ठ घी जिसे कहा गया है उस उच्चतम गुणवत्ता के भादवे के घी को गोमाता के आशीर्वाद एवं प्रेरणा से पिछले कुछ 5 वर्षो में अपने प्रचार एवं अद्भुत गुणवत्ता के कारण द्वारा पुनः प्रचलन में लाने का श्रेय जाता है गोधूली परिवार को।
इस घृत को केवल भाद्रपद के माह में बना लेना ही पर्याप्त नहीं है अपितु दूध को गोमाता से लेने के समय से लेकर उसको दही में रूपांतरित करने एवं प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उसे हाथ की मथनी से बिलोना करके गायत्री मंत्र के उच्चारण के साथ मक्खन निकालना महत्वपूर्ण है। तत्पश्चात ही उसमें वह गुण आयेंगे जिसका शास्त्रों में वर्णन है।
हमसे अधिकतर आयुर्वेदिक वैद्य इस घृत को पुराना करने को लेते है जो पुराने घी से देसी इलाज करते है क्योंकि पुराने घृत अर्थात 20 वर्षो से पुराने घृत के औषधिय गुण अदभुत होते है।
गोधूली परिवार ने कुछ वर्ष पहले इसके लाभ को सामान्य परिवारों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया और हमें प्रसन्नता है कि बहुत से लोगो ने हमसे प्रेरित होकर इसका निर्माण और विक्रय आरंभ किया है। परंतु इसके निर्माण में प्रयोग होने वाली नियमो को ध्यान में रखकर ही निर्माण किया जाना चाहिए। अन्यथा इसका वास्तविक लाभ नहीं मिलेगा जो कि उचित नही।
बहुप्रतीक्षित भादवे का घी Gaudhuli.com पर सीमित मात्रा में उपलब्ध है।
शास्त्रों में #भादों का #घी सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। बारिश के बाद जंगल में #जड़ी_बूटी लहलहा जाती है। जंगल चारे में गांठ पड़ जाती है। गौ विहार की “गौ माँ प्रतिदिन 30 से 50 किलोमीटर का यात्रा करती हैं। भादों का #दूध #अमृत तो होगा ही। यह एक विज्ञान है। वे कहते है कि इसको समझने की क्षमता “मैकाले पुत्रों” में नहीं हैं। अलबत्ता, अमेरिकी फिरंगी अब भारतीय मूल ज्ञान की ओर भाग रहे हैं। लपक रहे हैं। #मैकाले पुत्रों की लुटिया डूबने को है। ज्यादा दिन नहीं बचे इनके।
भाद्रपद मास आते आते घास पक जाती है।
जिसे हम घास कहते हैं, वह वास्तव में अत्यंत दुर्लभ औषधियाँ हैं।
इनमें धामन जो कि गायों को अति प्रिय होता है, खेतों और मार्गों के किनारे उगा हुआ साफ सुथरा, ताकतवर चारा होता है।
सेवण एक और घास है जो गुच्छों के रूप में होता है। इसी प्रकार गंठिया भी एक ठोस खड़ है। मुरट, भूरट,बेकर, कण्टी, ग्रामणा, मखणी, कूरी, झेर्णीया,सनावड़ी, चिड़की का खेत, हाडे का खेत, लम्प, आदि वनस्पतियां इन दिनों पक कर लहलहाने लगती हैं।
यदि समय पर वर्षा हुई है तो पड़त भूमि पर रोहिणी नक्षत्र की तपत से संतृप्त उर्वरकों से ये घास ऐसे बढ़ती है मानो कोई विस्फोट हो रहा है।
इनमें विचरण करती गायें, पूंछ हिलाकर चरती रहती हैं। उनके सहारे सहारे सफेद बगुले भी इतराते हुए चलते हैं। यह बड़ा ही स्वर्गिक दृश्य होता है।
इन जड़ी बूटियों पर जब दो शुक्ल पक्ष गुजर जाते हैं तो चंद्रमा का अमृत इनमें समा जाता है। आश्चर्यजनक रूप से इनकी गुणवत्ता बहुत बढ़ जाती है।कम से कम 2 कोस चलकर, घूमते हुए गायें इन्हें चरकर, शाम को आकर बैठ जाती है।
रात भर जुगाली करती हैं।
अमृत रस को अपने दुग्ध में परिवर्तित करती हैं।
यह दूध भी अत्यंत गुणकारी होता है।
इससे बने दही को जब मथा जाता है तो पीलापन लिए नवनीत निकलता है।
एकत्रित मक्खन को गर्म करके, घी बनाया जाता है।
इसे ही #भादवे_का_घी कहते हैं।
विशेष: सभी गोघृत भोजन के रूप में सेवन हेतु 90 दिन के अंदर प्रयोग करें और उसके पश्चात जितना पुराना होगा इसकी महक नए घी जैसी नहीं रहेगी अपितु बदलती रहेगी और तेज़ होती जाएगी कम से कम 10 वर्ष पुराना घृत मुँह मांगे दामों पर लोग लेने को तैयार रहते है।
****************************************************
भारतीय महीनो को समझने के लिए यह वीडियो देखे
******************************************************
इसमें अतिशय पीलापन होता है। ढक्कन खोलते ही 100 मीटर दूर तक इसकी मादक सुगन्ध हवा में तैरने लगती है।
बस….मरे हुए को जिंदा करने के अतिरिक्त, यह सब कुछ कर सकता है!
ज्यादा है तो खा लो, कम है तो नाक में चुपड़ लो। हाथों में लगा है तो चेहरे पर मल दो। बालों में लगा लो।
दूध में डालकर पी जाओ।
सब्जी या चूरमे के साथ जीम लो।
बुजुर्ग है तो घुटनों और तलुओं पर मालिश कर लो।
इसमें अलग से कुछ भी नहीं मिलाना। सारी औषधियों का सर्वोत्तम सत्व तो आ गया!!
इस घी से हवन, देवपूजन और श्राद्ध करने से अखिल पर्यावरण, देवता और पितृ तृप्त हो जाते हैं।
कभी सारे मारवाड़ में इस घी की धाक थी।
इसका सेवन करने वाली विश्नोई महिला 5 वर्ष के उग्र सांड की पिछली टांग पकड़ लेती और वह चूं भी नहीं कर पाता था।
मेरे प्रत्यक्ष की घटना में एक व्यक्ति ने एक रुपये के सिक्के को मात्र उँगुली और अंगूठे से मोड़कर दोहरा कर दिया था!!
आधुनिक विज्ञान तो घी को #वसा के रूप में परिभाषित करता है। उसे भैंस का घी भी वैसा ही नजर आता है। वनस्पति घी, डालडा और चर्बी में भी अंतर नहीं पता उसे।
लेकिन पारखी लोग तो यह तक पता कर देते थे कि यह फलां गाय का घी है!!
यही वह घी था जिसके कारण युवा जोड़े दिन भर कठोर परिश्रम करने के बाद, रात भर रतिक्रिया करने के बावजूद, बिलकुल नहीं थकते थे (वात्स्यायन)!
एक बकरे को आधा सेर घी पिलाने पर वह एक ही रात में 200 बकरियों को “हरी” कर देता था!!
इसमें #स्वर्ण की मात्रा इतनी रहती थी, जिससे सर कटने पर भी धड़ लड़ते रहते थे!!
बाड़मेर जिले के #गूंगा गांव में घी की मंडी थी। वहाँ सारे मरुस्थल का अतिरिक्त घी बिकने आता था जिसके परिवहन का कार्य बाळदिये भाट करते थे। वे अपने करपृष्ठ पर एक बूंद घी लगा कर सूंघ कर उसका परीक्षण कर दिया करते थे।
इसे घड़ों में या घोड़े के चर्म से बने विशाल मर्तबानों में इकट्ठा किया जाता था जिन्हें “दबी” कहते थे।
घी की गुणवत्ता तब और बढ़ जाती, यदि गाय पैदल चलते हुए स्वयं गौचर में चरती थी, तालाब का पानी पीती, जिसमें प्रचुर विटामिन डी होता है और मिट्टी के बर्तनों में बिलौना किया जाता हो।
अतः यह आवश्यक है की इस महीने के घृत को प्रतिदिन जंगल या गोचर में कम से कम 5 से 10 किलोमीटर तक चलने वाली गाय के दूध से वैदिक विधि से या तो स्वयं घर पर बनाये या किसी विश्वासपात्र व्यक्ति से ही ले जिस से इसके गुणों का पूरा लाभ मिल सके और यदि इसे कई वर्षो तक संजो कर औषधि बनाना है तो इसका शुद्ध और भादवे के महीने में बना होना और भी आवश्यक है
यही कारण था की इस महीने के घी का गोपालको को अच्छा दाम मिलता था या कहे की यह महीना उनकी और उनकी गाय के दिवाली का महीना होता है जिसका वह साल भर राह देखते है
वही गायें, वही भादवा और वही घास आज भी है। इस महान रहस्य को जानते हुए भी यदि यह व्यवस्था भंग हो गई तो किसे दोष दें?
जो इस अमृत का उपभोग कर रहे हैं वे निश्चय ही भाग्यशाली हैं। यदि घी शुद्ध है तो जिस किसी भी भाव से मिले, अवश्य ले लें। यदि भादवे का घी नहीं मिले तो गौमूत्र सेवन करें। वह भी गुणकारी है।
तो इस व्यवस्था को किसी भी रूप में क्षमतानुसार पुनः स्थापित करने का प्रयास करें।
वर्ष में एक बार आने वाला अवसर
लाभ अवश्य उठाएं
अग्रिम बुकिंग 22 जुलाई 2024 से आरम्भ
घी की डिलीवरी 01 सितम्बर 2024 से आरम्भ
(सीमित स्टॉक)
कुछ संतुष्ट समर्थको के विचार
Additional information
Volume | 1 litre, 500ml |
---|
Related products
-
Sale!
Gangateeri Gomata Bilona Ghee / गंगातीरी गोमाता बिलोना घृत (500ml & 1000ml)
-
-7%
Kankrej Gomata Handmade Bilona Ghee | कांकरेज गोमाता का शुद्ध हस्तनिर्मित बिलोना घृत – 1 litre
₹2,700.00Original price was: ₹2,700.00.₹2,500.00Current price is: ₹2,500.00. Add to cart -
Sale!
Handcrafted 100% Pure Kansa Thali Set / हस्तनिर्मित 100% शुद्ध काँसा थाली (10 & 12 inch) – Free Shipping (Polished & Matte Finish)
-
बोधशाला – स्कूल : समुदाय : परस्परता / Learning at Bodhshala – Re-Orienting The School To Its Community (Hindi & English)
Recently Viewed Products
-
Sale!
Vedic Mathni / Bilona (with Speed Regulator) वैदिक मथनी / बिलोना – गति नियंत्रक के साथ (Capacity – upto 4 & 8 litre) – Free Shipping
-
-7%
Nagauri / नागौरी Gomata Bilona Ghee – 1litre
₹2,700.00Original price was: ₹2,700.00.₹2,500.00Current price is: ₹2,500.00. Add to cart -
-7%
Kankrej Gomata Handmade Bilona Ghee | कांकरेज गोमाता का शुद्ध हस्तनिर्मित बिलोना घृत – 1 litre
₹2,700.00Original price was: ₹2,700.00.₹2,500.00Current price is: ₹2,500.00. Add to cart -
Ghrit or Ghee with Special Properties | विशेष गुणों से युक्त घृत -100ml
-
Sale!
Gangateeri Gomata Bilona Ghee / गंगातीरी गोमाता बिलोना घृत (500ml & 1000ml)