Gangateeri Gomata Bilona Ghee / गंगातीरी गोमाता बिलोना घृत (500ml & 1000ml)
₹1,300.00 – ₹2,500.00
बिलोने से बना गंगातीरी नस्ल की गोमाता का घृत
Description
Product details
बिलोने से बना गंगातीरी नस्ल की गोमाता का घृत
बच्चो की शारीरिक वृद्धि हेतु आवश्यक फैट की पूर्ति करने का सर्वश्रेष्ठ स्त्रोत है
इस घृत को वैदिक विधि के अनुसार बनाया जाता है
पित्त को संतुलित रखने का उत्तम माध्यम
सभी आयु वर्गों के लिए सर्वोत्तम आहार
हवन पूजा आदि में अग्नि में आहुति हेतु सर्वश्रेष्ठ
घी के महत्त्व को विस्तार से जानने हेतु इस लिंक पर क्लिक करें
https://www.virendersingh.in/2020/05/GHEE-why-how-much.html
घी वाली रोटी नहीं खा रहे हैं तो कर रहे देश का अहित /Roti without Ghee is disservice to the country
घी क्यों और कितना खाएं?
इस विषय पर संक्षिप्त परन्तु तृप्त करने योग्य जानकारी।
चाय, हृदय रोगी, मोटापा, जोड़ो के दर्द से मुक्ति सुंदर त्वचा के इक्छुक अवश्य पढ़ें
बिना घी की रोटी खाने वालों
आपको मुर्ख बनाया गया है,
जानिए …..सच्चाई क्या है
दोस्तों, हर घर से एक आवाज जरुर आती है, “मेरे लिए बिना घी की रोटी लाना”, आपके घर से भी आती होगी, लेकिन घी को मना करना सीधा सेहत को मना करना है।
लोगो तला हुआ या चिकनाहट वाले भोजन में अंतर नही पता अतः वह घी से दूरी बना लेते है।
पहले के जमाने में लोग सामान्य दिनचर्या में घी का निसंकोच प्रयोग करते थे। इस लेख में घी का अर्थ है देसी गाय का वैदिक विधि से बिलोने से बना शुद्द देशी घी। मलाई से या किसी और शॉर्टकट से बना घी जैसा पदार्थ घी नही है।
घी को अच्छा माना जाता था और कोलेस्ट्रोल और हार्ट अटैक जैसी बीमारियाँ कभी सुनने में भी नही आती थी।
लेकिन फिर आरंभ हुआ घी का योजनाबद्ध नकारात्मक एवं गलत प्रचार। बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियों ने डॉक्टरों के साथ मिलकर अपने बेकार और अनावश्यक उत्पादों का बाजार खड़ा कराने के लिए लोगों में घी के प्रति भ्रम फैलाया और कहा कि
“घी से मोटापा आता है, कोलेस्ट्रोल बढता है, और हार्ट अटैक आने की सम्भावना बढती है।”
जबकि ये पूर्णतः गलत है।
जानने योग्य बात यह है कि यदि गोघृत वैदिक पद्दति से बना है तो उसका पिघले स्वरूप (Melting Point) में रहने का तापमान हमारे शरीर के समान्य से कम होता है अतः शरीर में यह कभी जमा नही होता। इसीलिए मोटापा और ब्लॉकेज जैसी बीमारी कभी नही होती।
परंतु यदि देसी गाय के दूध से भी घी गलत विधि से बनाया गया है या भैंस, विदेशी नस्ल की गाय जैसा दिखने वाले जीव के दूध से बनाया है तो ऐसे घी का melting point शरीर के तापमान से अधिक होता है। अतः शरीर मे तब तक जमा रहेगा जब तक आप किसान, पहलवान या मज़दूर आदि जितना शारीरिक श्रम नही करते है तो यह आपको अवश्य बीमार करेगा।
इसीलिए पहले लोगो भैंस का घी खाकर भी स्वस्थ रहते थे क्योंकि वो शारीरिक श्रम बहुत अधिक करते थे। आज इन्ही के परिवार के की अगली पीढ़ी उसी भैंस का घी खा बीमार हो रही है क्योंकि मेहनत से पसीना उतना नही बहाते।
जो दिमाग वाले काम अधिक करते है उनके लिए गाय का घी ही अमृत है।
सत्य तो है यह कि कॉलेस्ट्रोल नाम का भूत वर्षो पहले विदेशी बाजार द्वारा रचा गया षड्यंत्र था जो अब इन्होंने स्वीकार भी किया है कि दुनिया के किसी भी खाद्य पदार्थ में कोलेस्ट्रॉल होता ही नही है।
अच्छा या खराब कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर मे ही बनता है जो निर्भर करता है कि हम कैसा घी औऱ तेल खा रहे है और उसका पाचन कितने प्रभावी रूप से शरीर करता है।
यदि शुद्ध बिलोने वाला वैदिक गोघृत शरीर मे जाएगा तो वह अच्छा कोलेस्ट्रॉल ही बनेगा।
जबकि रिफाइंड और दुसरे वनस्पति तेल और बाजारू घी शरीर मे जाएगा तो शरीर ख़राब कोलेस्ट्रॉल ही बनाएगा। जिस से लोग बीमार होंगे तो ही डॉक्टरों का धंधा चलेगा।
इसी सोच के साथ इन विदेशी लुटेरी कंपनियों के साथ ये डॉक्टर भी मिल गए। अब इस मार्किट में कुछ स्वदेशी कंपनियां भी घी का विकृत स्वरूप बटर आयल लेकर आ गई है। जो खाकर लोग बीमार होने लगे और धीरे धीरे लोगों के दिमाग में यह बात घर कर गई कि घी खाना बहुत ही नुकसानदायक है।
घी न खाने में गर्व का अनुभव करने लगे कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक (Health Conscious) है। क्योकि जब आप एक ही झूठ को बार बार टीवी पर दिखाओगे तो वो लोगो को सत्य लगने लगता है।
जबकि घी खाना हानिकारक नही अपितु अत्यंत लाभदायक है। घी हजारों गुणों से भरपूर है, खासकर गाय का घी तो स्वयं अमृत ही है।
घी हमारे शरीर में कोलेस्ट्रोल को बढाता नही अपितु कम करता है।
घी मोटापे को बढाता नही बल्कि शरीर के ख़राब फैट को कम करता है।
घी एंटीवायरल है और शरीर में होने वाले किसी भी इन्फेक्शन को आने से रोकता है।
घी का नियमित सेवन ब्रेन टोनिक का काम करता है।
विशेषकर बढ़ते बच्चों की शारीरिक और मानसिक विकास के लिए ये बहुत ही जरुरी है।
ये जो उठते और बैठते आपके शरीर की हड्डियों से चर मर की आवाज आती है इसकी वजह आपकी हड्डियों में लुब्रिकेंट या चिकनाहट की कमी है, अगर आप घी का नियमित सेवन करते है तो ये आपकी मांसपेशियों को मजबूत करता है और आपकी हड्डियों को पुष्ट करता है.
घी हमारे रोगों से लड़ने की क्षमता (Immunity) को बढाता है।
घी हमारे पाचन क्रिया को भी सुदृढ रखता है जो आजकल सबसे बड़ी समस्या है। जिस कारण आज हर दूसरा व्यक्ति कब्ज का रोगी है जो कई रोगों की जननी है।
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अब हम बात करते है कि घी को कितना और कैसे खाए?
– घी नया खाना चाहिए अर्थात आज का बना आज ही खा लिया जाए तो सर्वोत्तम। अन्यथा बनने के 90 दिन के अंदर का उस घी का सेवन कर लेना उचित है। उसके बाद उसकी सुगंध बदलेगी और वह जितना पुराना होगा इतनी ही अच्छी औषधि के उपयोग में आएगा।
– शहर में कार्यरत एक सामान्य व्यक्ति के लिए प्रतिदिन आयु के अनुसार 2 से 4 छोटी चम्मच घी पर्याप्त है।
– गर्भवती महिला के लिए प्रसव के पूर्व तो लाभदायक है परंतु प्रसव के बाद तो यह अमृततुल्य है। जिसका भारत मे अलग अलग क्षेत्रो में खाने के भिन्न भिन्न व्यंजन है।
– इसे आप सब्ज़ी, दाल में ऊपर से अवश्य डाले।
– घी और काली मिर्च का मेल विष को काटता है अतः खेतो में प्रयोग होने वाले विष का प्रभाव समाप्त करने के लिए सब्ज़ी में ऊपर से घी एवं कालीमिर्च का प्रयोग अवश्य करें।
– रात में गाय के दूध में घी और ऋतु अनुसार थोड़ी हल्दी डालकर 51 बार फेंटकर झाग बनाकर पीने के अद्भुत लाभ है।
– चाय जैसे नशे के आदि लोग चाय छोड़ दे तो उचित परंतु फिर भी यदि चाय नही छूटती तो उसमें एक चम्मच यह शुद्ध घृत डाल कर अवश्य पीजिए, चाय से होने वाले नुकसान कम होंगे। लेकिन मैदानी क्षेत्र के लोगो को चाय न पीना ही सबसे उत्तम है।
– बच्चो के भोजन में इसका प्रयोग उदारता से करें।
– यदि आपको शुद्ध देसी गाय का दूध उपलब्ध है तो छाछ, दही या मक्खन का सेवन करें। घी की मात्रा आपको तब कम चाहिए। और यदि आपको गाय का दूध उपलब्ध नही है तो तब गलत दूध न मंगवाकर केवल घी का सेवन अधिक करें।
– एकादशी पर धार्मिक दृष्टि से न सही शारीरिक दृष्टि से ही उपवास करें। उस दिन 50 से 100 ग्राम गुनगुना परन्तु पिघल हुआ घी पीकर दिन भर गुनगुने या गर्म पानी का सेवन करें। जीवन मे कैंसर, जोड़ो का दर्द से मुक्ति के अतिरिक्त अनगिनत लाभ होंगे।
– घी को पका कर या बिना पकाए दोनों तरीके से खा सकते है। चाहे तो इसमें खाना पका लें या फिर बाद में खाने के ऊपर डालकर खा लें। दोनों ही तरीके से घी बहुत ही फायदेमंद है।
– भाद्रपद माह अथवा भादवे के महीने के घी का सेवन अवश्य करें एवं औषधि हेतु वर्षो तक नियमानुसार सहेज कर रखें।
– आप सबसे यदि सुंदर एवं युवा दिखना चाहते हैं तो घी अवश्य खाएं क्योंकि घी एंटीओक्सिडेंट है जोकि आपकी त्वचा को हमेशा चमकदार और मुलायम रखता है।
लिखने को बहुत कुछ है परंतु अभी के लिए इतना ही।
आपके अपने और आसपास के सभी लोगों की एवं विशेषकर बच्चो के उत्तम स्वास्थ्य के लिए यह जानकारी उनके साथ अवश्य साँझा करे।
और जो बिना घी की रोटी खाते है उनको ये जरुर भेजे। 🙏🙏
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ऐसा घी यदि संभव हो तो घर पर ही बनाएं
नया बनाए और नया खाएं।
घर और हृदय दोनो में एक साथ गोमाता के लिए थोड़ी सी भी संभावना और हो तो घर मे गाय अवश्य रखें और अपना घी स्वयं बनाकर आनंद लें।
यदि ऐसी कोई संभावना नही तो आपके निकट जिसने गोमाता की सेवा कर उस से अपनी जीविका के लिए यदि आपको वैदिक विधि से बना शुद्ध घी बनाकर दे रहा है उनका सहयोग करें।
प्रथम ऐसा घी अपने निकट कही खोजे
न मिले तो देश के सबसे उत्तम गुणवत्ता के घृत में से एक “गौधूलीगोघृत” को हमारी वेबसाइट से आर्डर करें।
घी के बारे में लगभग सब जानने के लिए इस वीडियो को देखें।
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Know all about Ghee
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जानकारी देह एवं देश हित में प्रेषित
*Gaudhuli.com*
गौधूली वीरेंद्र द्वारा संचालित
एक अनोखा ऑनलाइन स्टोर
जहाँ मात्रा सीमित है, गुणवत्ता नहीं
गौ धुली के उत्पाद, अक्सर मै मांगता रहता हूं अपने परिवार के लिए, घी खासकर अपने बच्चों के लिए जरूर मांगता हूं, सभी उत्पाद बढ़िया है। उत्पाद मांगने का एक उद्देश्य यह भी है। यह स्वदेशी है, इस तरह के छोटे उद्योग से जुड़े वर्ग को एक आर्थिक शसक्तीकरण में सहायता हो। देश, समाज हित में हो
धन्यवाद !!
Good and authentic
Ghee is of very good taste. It is pure ghee.
It's very good quality of a2 cow ghee but order tracking process needs to be improved. Customer care do not respond on time when asked about the delivery date and current location of product.
घी की गुणवत्ता बहुत अच्छी है, मैं 5 वर्षों से अधिक से गोधूलि का गो घृत उपयोग कर रहा हूं।
यह घी काफी अच्छा है और मैं सभी को यह सलाह देता हूं कि इस घी को जरूर इस्तेमाल करें क्योंकि यह हमारे वैदिक काल को समझकर ही बनाया गया है
Nice
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