
Panchgavya Chavyanprash – पंचगव्य युक्त देसी खांड से बना अवलेह (च्यवनप्राश) – (500 ml & 1 litre)
₹950.00 – ₹1,850.00
Product details
सर्दियों के लिए विशेष उत्पाद
पंचगव्य घृत युक्त च्यवनप्राश
गोधूलि परिवार द्वारा एक और विशुद्ध उत्पाद
Please fill in the fields below with the shipping destination details in order to calculate the shipping cost.
Description
Product details
सर्दियों के लिए विशेष उत्पाद
पंचगव्य घृत युक्त च्यवनप्राश
गोधूलि परिवार द्वारा एक और विशुद्ध उत्पाद
जंगल मे चरने वाली देशी गौ माता के दूध से अपने हाथ से बनाये 100% शुद्ध पंचगव्य घृत से बना शुद्ध च्यवनप्राश।
पंचगव्य युक्त अवलेह (च्यवनप्राश)
इसके अतिरिक्त 40 से भी अधिक जड़ीबूटीयों से युक्त
अत्यंत पौष्टिक और स्वादिष्ट।
**************************************************
गुण : बल एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
ह्रदय, मस्तिष्क, वातवाहिनी, शुक्रवाहिनी, नाड़ियो को बल प्रदान करने में उपयोगी
अन्य विशेषताएं:
1. रासायनिक चीनी से मुक्त: केवल प्राकृतिक गुड़ या शुद्ध शहद या देसी खांड से बना।
2. मशीनों से नहीं हाथ से बना।
3. बनाने में कोई एल्युमीनियम के बर्तन का प्रयोग नहीं किया गया।
4. चरने वाली देशी गौ माता के पूर्ण विधि से बने पंचगव्य घृत से बना।
5. कांच की हानिरहित बोतल में सुरक्षित किया गया।
*************************
“आंवला नवमी” या “आरोग्य नवमी”
आँवला के वृक्ष की महिमा का प्रतिष्ठापित करने के लिए इसकी पूजा की जाती है और इसीलिए कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को “आंवला नवमी” या “आरोग्य नवमी” भी कहा जाता है ।
गाँवों में इस दिन घर के अंदर भोजन नहीं बनता था ।
आँवला के पेड़ के नीचे सुबह सुबह साफ सफाई होने लगती थी ।
आँवला नवमी से एक दिन पहले ही उस स्थान की गाय के गोबर से लिपाई पुताई हो जाती थी ।
आँवला नवमी के दिन खानदान की सभी स्त्रियाँ इकट्ठी होकर मिट्टी के चूल्हे पर एक साथ पूरे खानदान का भोजन बनाती थी ।
पुरुष ईंधन और बाल्टी बाल्टी से कूएँ से पानी लाकर देते थे और स्त्रियाँ भोजन बनाती थी ।
कितनी भी एक दूसरे से मनमुटाव हो , गाँव के सभी लोग एक ही पेड़ के नीचे इक्कट्ठे होकर अपना अपना चूल्हा बनाकर भोजन पकाते थे ।
आपसी मेल जोल , सौहार्द्र , प्रेम इत्यादि की वृद्धि होती थी ।
सुबह सुबह आँवला के वृक्ष का पूजन होता था । लोग आँवला की लकड़ी का ही दातौन करते थे ।
आँवला के वृक्ष की छाया के नीचे ही थाली में भोजन किया जाता था । यह मान्यता थी कि थाली में अगर आँवला के पत्ते गिरें , तो उसको भोजन के साथ खाने वाला व्यक्ति पूरे वर्ष बीमारी या किसी भी व्याधि से पीड़ित नहीं होगा और स्वस्थ्य बनेगा । इसके बाद सब बहुत सारा कच्चा आँवला खाते थे ।
देखिये कितनी वैज्ञानिक , पावन और धार्मिक परंपरा थी ।
पर आज आधुनिकता की प्रलय ने इन सबको लील लिया है ।
*******************************************************
हमारे शास्त्रों में स्वास्थ्य के रक्षण के हित बहुत से व्रत, नियम , तपश्चर्या, विधि , निषेध , भक्ष , अभक्ष इत्यादि के माध्यम से बहुत शरीर स्वास्थयार्थ कई बातों का निरूपण किया गया है ।
उनको भगवान धर्म इत्यादि से डरा धमका कर इसलिए जोड़ दिया गया है कि हम लोग डर से भय से प्यार से तकरार से किसी भी विधा इनका पालन कर अपना आत्मिक , मानसिक , शारीरिक , आर्थिक विकास का अनुपालन कर सकें ।
हमारे देश में घरो में तो आँवला विभिन्न स्वरूपों में पूरे वर्ष भर चलता है । हर हफ्ते धड़ी भर भर कर आंवला आता है और कच्चे फल की तरह खाया जाता है ।
आंवला स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है ।
कहा गया है जिसने भी पूरे कार्तिक मास आंवला के वृक्ष पर चढ़कर आंवला के फल पत्तियों और उसके डंठल से दातुन करके व्रत करता है , वह आजीवन निरोगी रहता है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि पूरे कार्तिक मास में आँवला के पत्र , पुष्प , फल , इत्यादि का जो भी सेवन करेगा उसके शरीर में अंदर अद्भुत क्षमता का निर्माण होगा , शरीर से विजातीय तत्व या हानिकारक अवयव या बीमार करने वाले तत्व बाहर निकल जाएंगे
आँवला antioxidant का काम करता है । त्वचा के लिए बहुत उपयोगी । जल्दी वृद्धावस्था आने नहीं देता ।
हड्डियों के osteoporosis वाली बीमारी खत्म कर हड्डियों की मजबूती वरदान करता है ।
Antidepressant का कार्य करता है । किसी को depression हो तो वह नियमित आँवला का सेवन करे तो उसको डिप्रेशन नहीं होगा । यह ऐसा हॉर्मोन्स secretion को प्रेरित करता है जो antidepressant का कार्य करता है ।
आँखों के लिए , लिवर के लिए , किडनी के लिए बेहद अचूक है । आंवला का कसैलापन शरीर के लिए बहुत उपयोगी है ।
प्रजनन क्षमता को बढ़ाता है। sperm count को बढ़ाता है और यौवन बरकरार रखता है ।
जो आँवला का सेवन नियमित करता है उसपर आयु कर प्रभाव काम दिखता है।
च्यवन ऋषि का च्यवनप्राश इसी आँवला पर ही बना है । च्यवन ऋषि ने अपनी तरुणाई या यौवन इसी आँवला के सेवन से ही प्राप्त की ।
इसीलिए सब लोग आज के दिन आँवला अवश्य खाईये एवं इसके पश्चात होली तक किसी भी रूप में आँवला खाना लाभकारी है। परंतु उसमे कोई कृत्रिम रसायन या हानिकारक चीनी अथवा कृत्रिम मीठा न हो इसका ध्यान रखें।
Related products
-
Amrit Dhara – अमृतधारा सुधा (10ml)
-
Kesh Sudha Shampoo / केश सुधा शैम्पू – 100% chemical free shampoo गोमूत्र निर्मित (500ml)
-
-9%
Gomay Bhasm – 250gm
₹220.00Original price was: ₹220.00.₹200.00Current price is: ₹200.00. Add to cart -
Gharshan Sudha Joint Pain Oil / घर्षण सुधा (100ml) – जोड़ो के दर्द हेतु रामबाण तेल