मंत्रौषधि स्वर्णप्राशनं / Mantroushadhi Swarnprashanam – 15ml & 30 ml (प्रतिदिन देने के अनुसार मात्रा आर्डर करें – बार बार मंगवाने के खर्च से बचने हेतु)
₹340.00 – ₹670.00Price range: ₹340.00 through ₹670.00
कश्यपसंहिता में वर्णित 3 हज़ार वर्ष पुराना
आयुर्वेदिक टीकाकरण – स्वर्णप्राशन*
अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें
https://www.virendersingh.in/2019/02/swarn.html
- बालक की रोगप्रतिकार क्षमता बढती है
- बालक के शारीरिक विकास में सकारात्मक गति लाता हैबालक के शारीरिक विकास में सकारात्मक गति लाता है
- यह स्वर्णप्राशन स्मरणशक्ति और धारणशक्ति (grasping ability) बढाने वाले कई महत्वपूर्ण औषध से बना है।
- पाचनक्षमता बढाता है
- शारीरिक और मानसिक विकास के कारण वह ज्यादा चपल और बुद्धिमान बनता है।
- स्वर्णप्राशन मेधा (बुद्धि), अग्नि ( पाचन अग्नि) और बल बढानेवाला है।
- यह आयुष्यप्रद, कल्याणकारक, पुण्यकारक, वृष्य (पदार्थ जिससे वीर्य और बल बढ़ता है),
- वर्ण्य (शरीर के वर्ण को तेजस्वी बनाने वाला) और ग्रह पीडा को दूर करनेवाला है
- स्वर्णप्राशन के नित्य सेवन से मेधायुक्त बनता है श्रुतधर (सुना हुआ सब याद रखनेवाला) बनता है, अर्थात उसकी स्मरणशक्त्ति अतिशय बढती है।
Description
कश्यपसंहिता में वर्णित 3 हज़ार वर्ष पुराना
आयुर्वेदिक टीकाकरण – स्वर्णप्राशन*
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मंत्रौषधि सुवर्णप्राशन क्या है ?
- मंत्रौषधि सुवर्णप्राशन काश्यप संहिता में वर्णन के अनुसार मंत्रोच्चार सहित सुवर्ण, मध, वचा, ब्राह्मी, शंखपुष्पी जैसी औषधियों से निर्मित हुआ “इम्यून टॉनिक” है ।
- जिससे कुपोषण, दुबलापन, अजीर्ण, कब्ज, कृमि जैसी पाचन संबंधी विकृतियां दूर होती है ।
- चिड़चिड़ापन, गुस्सा, स्लो-लर्निंग, सिझोफेनिया जैसे मानसिक रोगों में बेहद लाभ प्राप्त होता है ।
- जो बालक की रोगप्रतिकारक शक्ति को मजबूती प्रदान कर के एक स्वस्थ तासीर का निर्माण करता है ।
- पुरानी सर्दी-खांसी कफ, जुकाम, बुखार एवं गले से संबंधित कई वायरल रोगों से रक्षण मिलता है ।
- यह प्राचीन काल में इतना प्रचलित था की सभी बालकों को “सुवर्णप्राशन संस्कार” करवाया जाता था, किन्तु- समय के साथ-साथ मध्यकाल में ये लुप्त हो गया ।
३००० साल पुराना सुवर्णप्राशन का पुनरोद्धार
- मध्यकाल से लुप्त हुए सुवर्णप्राशन के पुनः जीर्णोद्धार के लिए पू. गुरुजी ने ३८ प्रकार के एक्सपेरिमेंट किये ।
- अंतत: गुरुजी ने कई संशोधन के बाद 3000 साल पुरानी सुवर्णप्राशन निर्माण की शास्त्रोक्त विधि को पुनः खोज निकाली ।
- साथ-साथ पूज्य गुरुजी ने आयुर्वेद की प्राचीन संहिताओं का गहन (गहरा) अभ्यास भी किया ।
सन 1970 में सुवर्णप्राशन अभियान की शुरुआत
- सन् 1970 में पूज्य गुरूजी ने निःशुल्क “मंत्रौषधि सुवर्णप्राशन अभियान” की शुरुआत की ।
- इस कार्य से प्रेरित होकर डॉक्टर्स, प्राध्यापक, शिक्षक जैसे शिक्षित लोग भी कार्यकर्ता के रूप में इस अभियान से जुड़े ।
- उसके बाद, उन्होंने 21 कार्यकर्ताओं को इस अभियान में जोड़कर वाराणसी के आसपास स्थित नगर व शहरों में प्रचार प्रसार शुरू किया ।
- फलस्वरूप, यह अभियान वाराणसी के आसपास के बहुत सारे गाँव, शहर एवं कस्बे तक पहुंचा ।
सन 1990 में राष्ट्रपति द्वारा सन्मान
- सन् 1980-90 के दौरान केंद्र सरकार आधिकारिक रूप से बाल स्वास्थ्य संबंधी सर्वेक्षण किये गए ।
- जिसके कारण की शोध में निकले केंद्र सरकार के अधिकारियों को मंत्रौषधि सुवर्णप्राशन के निःशुल्क केंद्र की जानकारी ज्ञात हुई ।
- क्यों की, बाल स्वास्थ्य पर यह अभियान आज़ादी के बाद भारत के इतिहास का सर्वप्रथम एवं सबसे सफल अभियान था ।
- जिस में चमत्कारिक रूप से वाराणसी आसपास के क्षेत्र में बाल रोगों का प्रमाण काफी कम देखने को मिला ।
- 24 मार्च 1990 के दिन आर. वेंकटरमन द्वारा गुरुजी को “राष्ट्रपति पुरस्कार” प्रदान किया गया ।
सन 2003 राष्ट्रपति अवार्ड के बाद, यह अभियान स्थानिक से ऊपर राष्ट्रीय स्तर का अभियान बना और १४ राज्यों में पहुंचा ।
- परिणाम स्वरूप, बाल स्वास्थ्य का स्तर सुधरा एवं कुपोषित बालकों में भी चमत्कारिक परिणाम प्राप्त हुए ।
- गुरुजी द्वारा शुरू किया गया यह अभियान 1970 से आज भी अविरत – अस्खलित रूप से कार्यरत है ।
- देखते ही देखते यह अभियान अंतर्गत पूरे देश में 382 केन्द्र शुरू हुए और लाखो बालकों तक मंत्रौषधि सुवर्णप्राशन पहुंचा ।
- इसी कारण, एक बार फिर से सन 2003 में उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत जी द्वारा पू. गुरूजी को सम्मान प्रदान किया गया ।
वर्तमान में मंत्रौषधि सुवर्णप्राशन अभियान
- वर्तमान में पूरे भारत भर के 18 राज्यों में सुवर्णप्राशन के 542 निःशुल्क केंद्र चल रहे है ।
- इस तरह वर्तमान में आचार्य मेहुलभाईजी की आगवानी में यह अभियान अब आंतरराष्ट्रीय बन गया है ।
- भारत में चल रहे इस अभियान का प्रचार-प्रसार बढ़कर वर्तमान में यह अमरिका, कनाडा, दुबई, क़तर, सिंगापुर एवं नैरोबी जैसे 7 देशो में भी पहुंचा है ।
- गुरुजी के इस अविरत प्रयास के कारण 06 अगस्त 2022 को लक्ष्मीकांत बाजपेई द्वारा राज्यसभा में सुवर्णप्राशन पर चर्चा की गई ।
मंत्रौषधि और अन्य सुवर्णप्राशनम् में अंतर क्या है?
- मंत्रौषधि सुवर्णप्राशनम् 12 साल के अविरत शोध संशोधन और 38 प्रकार के experiment के बाद निर्माण किया गया है ।
मंत्रौषधि सुवर्णप्राशनम् इतना सस्ता क्यों है ?
- पू. विश्वनाथ गुरुजी जिनकी वाराणसी में सिद्धेश्वर रसशाला फार्मेसी थी, उन्होंने अपने हाथों से बनाई हुई स्वर्ण भस्म को भारत के प्रत्येक बच्चे के स्वास्थ्य के लिए दान दिया उसी से सुवर्णप्राशनम् बनता है, इसलिए हम इसे राहत दर से दे सकते है ।
- मंत्रौषधि सुवर्णप्राशनम् भारत का सबसे प्रथम – सक्षम और राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति पुरस्कार विजेता संस्था द्वारा निर्मित है ।
- मंत्रौषधि सुवर्णप्राशनम् शास्त्रोक्त मंत्रो से अभिमंत्रित कर के बनाया जाता है, जिससे चमत्कारिक कहे जाने वाले परिणाम प्राप्त हुए है एवं बच्चों के कष्ट साध्य एवं असाध्य रोगों में भी लाभ प्राप्त हुए है ।
क्या मंत्रौषधि सुवर्णप्राशनम् प्रतिदिन पिलाना चाहिए ?
- मंत्रौषधि सुवर्णप्राशनम् प्रतिदिन पिलाना चाहिए और पुष्यनक्षत्र पर भी पिलाना चाहिए ।
- मंत्रौषधि सुवर्णप्राशनम् प्रतिदिन पिलाने से सुवर्ण की पर्याप्त मात्रा बच्चों के शरीर में जाती है, जिससे बच्चों की स्मरण शक्ति, और इम्यूनिटी बढ़ती है ।
बच्चों के अस्थमा, एलर्जी, डाउन सिंड्रोम या हृदय के छेद जैसी घातक बीमारियों में भी पूरा लाभ होता है ।
बहुत अच्छा है सब लोग इसे use करे 🙏🏻
धन्यवाद वीरेंद्र भाई
Kaargar aushadhi straight from Kashyap samhita
मंत्रौषधि स्वर्णप्राशनं / Mantroushadhi Swarnprashanam is very good for child health and memory
बहुत बढ़िया सामान है बच्चों के लिए अच्छा उपयुक्त है
Best food for children. Should be given to every child
आज के इस पॉल्यूशन वाले एनवायरमेंट में अगर बच्चों को सही हेल्थ और इम्यूनिटी देनी है तो यह स्वर्ण प्राशन एक आधार है बच्चों का मैं पिछले 5 वर्षों से उपयोग कर रहा हूं अपने बच्चों के लिए बहुत शानदार रिजल्ट है धन्यवाद
Nice project
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