100% Organic Kitchen Haldi – पूर्णतया जैविक विषमुक्त हल्दी (250gm & 500gm)
₹175.00 – ₹325.00Price range: ₹175.00 through ₹325.00
Product details
किसानो से सीधे आप तक तेल युक्त शुद्ध एवं प्राकृतिक हल्दी
One of the best turmeric available straight from farmers
पूर्णतया जैविक विषमुक्त हल्दी
आपके और आपके परिवार को इसके बाद कहीं और से हल्दी लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी
सुदूर गांव में पूर्णतया प्राकृतिक रूप से उगाई ेएवं पिसी गई हल्दी जिसमे उसके प्राकृतिक तेल का चिपचिपापन जो उसका वास्तविक गुण है सुरक्षित रहता है
Description
Product details
किसानो से सीधे आप तक तेल युक्त शुद्ध एवं प्राकृतिक हल्दी
One of the best turmeric available straight from farmers
पूर्णतया जैविक विषमुक्त हल्दी
आपके और आपके परिवार को इसके बाद कहीं और से हल्दी लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी
सुदूर गांव में पूर्णतया प्राकृतिक रूप से उगाई ेएवं पिसी गई हल्दी जिसमे उसके प्राकृतिक तेल का चिपचिपापन जो उसका वास्तविक गुण है सुरक्षित रहता है
पूर्णतया जैविक विषमुक्त हल्दी
आपके और आपके परिवार को इसके बाद कहीं और से हल्दी लेने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी
सुदूर गांव में पूर्णतया प्राकृतिक रूप से उगाई ेएवं पिसी गई हल्दी जिसमे उसके प्राकृतिक तेल का चिपचिपापन जो उसका वास्तविक गुण है सुरक्षित रहता है
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हल्दी के 51 लाजवाब फायद
परिचय :हल्दी के प्रकार :
हल्दी के औषधीय गुण और उपयोग :
हल्दी के फायदे / लाभ :
हल्दी के नुकसान :
परिचय :
हल्दी मात्र मसाला अथवा औषधि ही नहीं, बल्कि धार्मिक, आर्थिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इसका सर्वप्रथम स्थान है। मांगलिक कार्यों, देवपूजन, हवन, यज्ञ, अनुष्ठान आदि धार्मिक शुभ कार्यो में भी इसे सर्वप्रथम स्थान प्राप्त है। आयुर्वेद के प्राचीनतम ग्रन्थों में इसके महत्व की अपार महिमा का वर्णन उपलब्ध है।
हल्दी के प्रकार :
हल्दी 4 प्रकार की होती है-1. हल्दी, 2. दारू हल्दी, 3. आंवा हल्दी, 4. काली हल्दी । जो दैनिक व्यवहार में हल्दी आती है वही हल्दी सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है तथा यहाँ पर भी इसके गुणों का वर्णन है।
हल्दी के औषधीय गुण और उपयोग
हल्दी चटपटी, कडवी. शरीर की रंगत को निखारने वाली, गरम, खुश्क, कब्ज और वायु (गैस) निवारक, स्त्रियों को विशेष सौन्दर्य प्रदान करने वाली, कफ, वायु और रक्त की खराबियों को दूर करने वाली, जिगर सुधारक, त्वचा रोग, फोड़ा फुन्सी और शोथ को नष्ट करने वाली, कोढ़ कुष्ठ रोग), खुजली, प्रमेह, पीलिया, नजला-जुकाम, कण्ठमाला को नष्ट करने वाली, आँखों को ज्योति प्रदान करने वाली, जवानी को सदाबहार बनाये रखने वाली, सुखपूर्वक निद्रा प्रदान करने वाली, प्रत्येक प्रकार के रोगों के कीड़ों को मारने वाली, पेशाब के प्रत्येक रोग को दूर करने वाली, असाध्य जख्मों को भरने वाली, छूत के रोगों से बचाने वाली, असाध्य रोगियों को मौत से बचा लेने वाली, किचन क्वीन (रसोई की रानी) गौरी आदि उपाधियों से विभूषित स्त्री यौनांगों के विकारों को हरने वाली सुवर्ण सुन्दरी है ।
हल्दी के फायदे
1- विश्व के प्रत्येक देशों की अपेक्षा यदि अपने प्राणप्रिय देश भारत में कुष्ठ रोग से पीड़ित रोगी (कोढ़ियों) की संख्या कम है तो इसका 1 मात्र श्रेय सिर्फ हल्दी को है। इसका सेवन राजा और रंक में समान रूप से है और होगा ।
2- 1 किलो हल्दी और बगैर बुझाया हुआ चुना 2 किलो लें। उन्हें 1 हाँडी में भर दें। उसमें ताजा पानी भरकर बन्द करके रखदें । दो मास के बाद हल्दी निकालकर सुखालें । तदुपरान्त हल्दी को बारीक पीसकर कपड़छन करके रखलें। इसे 3-3 ग्राम की मात्रा में 10-10 ग्राम शहद मिलाकर खाने से 4 मास में शरीर हष्ट-पुष्ट होकर चेहरा दमक उठेगा, सफेद बाल काले हो जायेंगे। बुढ़ापा दूर होकर यौवन आ जाएगा ।
3- हल्दी 1 भाग, चूना आधा भाग को आपस में भली भांति मिला करके, पानी से तरकर के चोट की सूजन पर लेप करने से सूजन, जलन दूर हो जाती है।
नोट-यदि चोट लगने से घाव हो गया हो तो इस योग का कदापि प्रयोग न करें।
4-बिच्छू दंश – बिच्छू दंश में हल्दी बारीक पीसकर लेप करते रहना परम लाभकारी एवं अनुभूत योग है।
5-खांसी – सर्दी के जमे हुए जुकाम को दूर करने के लिए हल्दी चुर्ण आग के कोयलों पर डालकर नाक के रास्ते धुंआ लेने से जमा हुआ बलगम निकलकर जुकाम दूर हो जाता है। | हल्दी चूर्ण 1 से 2 माशा तक शहद के साथ चाटने से बलगमी खांसी दूर हो जाती है।
6-झांइयां –हल्दी का चूर्ण और काले तिल बराबर मात्रा में पानी में पीसकर चेहरे पर लेप करते रहने से चेहरे की झांइयां दूर हो जाती हैं।
7-जोंक के डंक- हल्दी का शुष्क चूर्ण जोंक के डंक लगे स्थान पर छिड़कने से खून बहना बन्द हो जाता है।
8- अफारा- पिसी हल्दी और नमक 1-1 ग्राम मिलाकर गरम पानी से फंकी लगाते ही 2-3 मिनट में हवा (वायु) खारिज होकर अफारा मिट जाता है। आवश्यकतानुसार आधा-आधा घंटे पर 4-5 खुराकें ली जा सकती हैं।
9-आँखें दुखने पर – हल्दी पानी की टकोर कर उससे ही धुलाई करें। यह क्रिया रात्रि को सोते समय करें । तदुपरान्त हल्दी पानी में भीगी कपड़े की पट्टीआँखों पर रखकर सो जायें। सुबह तक आँखें निरोगी हो जायेंगी ।
10-आँख में घाव होने पर – हल्दी गाँठ को साफ पत्थर की सिल पर घिसकर सलाई से आँखों के लगाये. आधा घन्टे बाद गुनगुने पानी से धो डालें । तदुपरान्त हल्दी उबालें पानी में पट्टी भिगोकर आँखों की टकोर पर सेंक करें और अन्त में पुनः चन्दन की भांति घिसी हल्दी सलाई से लगाकर सो जायें। इस क्रिया से आँख का घाव बहुत जल्द ठीक हो जाता है।
11-आँखों में जाला होने पर – आधा किलो पानी में जरा सी फिटकरी और आधा चम्मच हल्दी चूर्ण डालकर 13 उबाल आने तक खौलायें । तदुपरान्त ठण्डा करलें। पहले इस पानी से पट्टी तर करके आँखों पर फेरते रहें । (सेंक करते रहें) जब पानी बिल्कुल ही ठण्डा हो जाए तब सिर पीछे को झुकाकर उक्त पानी धार बाँधकर आँखों में बारी-बारी से निचोड़े । प्रतिदिन सुबह-शाम 10-12 दिन के इस प्रयोग से आँखों का जाला कट जाएगा और धुन्ध छूट जाएगी।
12-आधासीसी में –निर्धूम किन्तु सुलगता हुआ उपला आंगन में रखकर उस पर पिसी हुई हल्दी डालकर नाक से उस्को पहरो धुंआ खींचें ताकि नजला, जुकाम के बिगड़ जाने से जो गन्दा मवाद जमकर सिर को पथरा रहा है, छीके आने से कफ बाहर निकलकर पथराया हुआ सिर हल्का कर दें। तदुपरान्त हल्दी घिसकर चम्मच में भरकर आग पर तपा कर (नोट-हल्दी का पानी इतना ही गुनगुना हो कि आप उसमें आसानी से ऊँगली डुबो सकें) फिर उल्टे कान अर्थात् दांये ओर सिर में आधासीसी का दर्द हो तो बांये कान में डालें । मात्र 5 बार के प्रयोग से आधासीसी से जीवन भर को निजात मिल जायेगी ।
नोट-ठण्डा रस कान में कदापि न डालें।
13-घाव- घाव को धोकर हल्दी चूर्ण बुरक देने से घाव के कीड़े मर जाते हैं।
14-फोड़ा – हल्दी और अलसी मिलाकर पीसकर कुछ गरम कर फोड़े में बाँधने से फोड़ा शीघ्र फूट जाता है ।
15-आँखों में लालिमा होने पर –हल्दी का आंख के ऊपर लेप करें ।
16-दाँत दर्द में –पिसी हल्दी को कपड़े में रखकर दांत के नीचे रखें।
17-कामला (जान्डिस)- आधा से 1 तोला हल्दी दही में मिलाकर खाने से कामला (जान्डिस) रोग ठीक हो जाता है।
18-जुकाम- बासी मुँह हल्दी और काली मिर्च का चूर्ण गुनगुने जल से खाने से ज्वर और जुकाम नष्ट हो जाता है।
19-प्रमेह- हल्दी, आँवले का रस मधु मिलाकर खाने से प्रमेह नष्ट हो जाता है ।
20- आमवात- हल्दी चूर्ण फाँककर भैंस का दूध पीने से आमवात दूर हो जाता है।
21-हलीमक रोग-हल्दी, दारू, हल्दी, आँवला, बहेड़ा, कुटकी प्रत्येक 2-2 तोला, लौह भस्म 6 तोला मिलाकर रखलें। इसे 2-2 रत्ती की मात्रा में मधु में चाटने से पान्डु, कामला, हलीमक रोग नष्ट हो जाता है।
22-कुष्ठ रोग- हल्दी चूर्ण 2 माशा में शहद आधा तोला मिलाकर दिन में 3 बार खाना कुष्ठ रोग में लाभकारी है। | हल्दी चूर्ण 6 रत्ती, काला नमक 6 रत्ती, ग्वारपाठे का रस 1 तोला मिलाकर सुबह-शाम खाने से यकृत, प्लीहा विकार नष्ट हो जाते हैं।
23- कन्डू-हल्दी, कुटकी, गन्धक और सुहागा पीसकर तैल में मिलाकर लेप करने से कन्डू ठीक हो जाती है।
24-फूला-हल्दी बारीक पीसकर नीबू के रस में 12 घंटे खरल करके आंख में सलाई से सुरमें की भांति लगाते रहने से फूला, जाला इत्यादि विकार नष्ट हो जाते हैं।
25-सफेद दाग-हल्दी जलाकर इसकी राख कड़वे तैल में मिलाकर घावों में लगाने से घाव जल्दी भर जाते हैं। | हल्दी और बाकुची को नीबू के रस में घोटकर बेस्के समान गोलियां बनाकर सुरक्षित रखलें । 1-1 गोली जल से खाने तथा जल में घिसकर लगाने से सफेद दाग नष्ट हो जाते हैं
26-मधुमेह-हल्दी, मैथी, आँवला और छोटी हरड़ को सममात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर रखलें । 10 ग्राम सुबह-शाम पानी से सेवन करते रहने से मधुमेह रोगी का जीवन आराम से गुजर जाता है ।
27-शीतपित्त- 5-5 ग्राम हल्दी चूर्ण दिन में तीन बार शहद के साथ चाटने से शीतपित्त रोग ठीक हो जाता है।
28-दमा-गोमूत्र भावित हल्दी का चूर्ण 2 से 4 ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेने से सर्दी, दमा, खाँसी में लाभ होता है । यदि इसमें काली मिर्च और त्रिकटु का चूर्ण भी मिला लिया जाए तो अधिक लाभप्रद हो जाता है ।
29-अर्श (बबासीर) में – मस्से सूजने पर हल्दी को घी में घिसकर लेप करें |
30- हल्दी के चूर्ण में थूहर का दूध मिलाकर उसमें सूत का डोरा भिगोकर अर्श के मस्सों पर 5-7 बार बांधने से मुस्से कटकर गिर जाते हैं।
31-चोट-हल्दी का बारीक चूर्ण दबाकर ऊपर से सख्ख पट्टी बांध देने से घाब का । रक्तस्त्राव बन्द हो जाता है। | हल्दी, सौंठ, घी को दूध में मिलाकर काढ़ा बनालें । इसे पीने से गुम चोट ठीक हो जाती है।
32-उदर-शूल- मट्ठा में 1 गाँठ पिसी हल्दी मिलाकर खाने से उदर-शूल शान्त हो जाता है।
33-एग्जीमा- एक्जिमा स्वमूत्र पर लगाते रहने और ताजा पिसी हल्दी में शहद मिलाकर मटर बरोबर गोलियाँ बनाकर सुबह-शाम 2-2 गोली चूसते रहने से चम्बल (सोरायसिस) और एग्जीमा नष्ट हो जाता है ।
34-हिचकी –हल्दी और उड़द की दाल 5-5 ग्राम जौ कुट करके हुक्का या चिलम में रखकर (उपले की आग चिलम में रखें) पीने से हिचकी बन्द हो जाती है। परीक्षित योग है।
35-खाँसी-हल्दी चूर्ण में बराबर शहद मिलाकर गोलियाँ बनाकर चूसने से खाँसी नष्ट हो जाती है । ( और पढ़े –कैसी भी खांसी और कफ हो दूर करेंगे यह 11 रामबाण घरेलु उपचार )
36-मुख के छाले-अकेली हल्दी की छोटी सी गाँठ चूसते रहने से मुख के छाले, खराश, दाने, जलन और खाँसी आदि विकार दूर हो जाते हैं ।
37-सुजाक-10-10 पिसी हल्दी की फैकी दिन में 3 बार पानी से लेते रहने से हफ्तों में ही सुजाक जैसा कोढ़ जड़ से नष्ट हो जाता है।
38- रतौंधी- दारूहल्दी, रसौत, नीमपत्र और कपुर 25-25 ग्राम लेकर कूट-पीसकर छानकर गाय के गोबर के रस में खरल करके (सुरमें की तरह बारीक) शीशी में रखलें । यह सुरमा आंखों में डालते रहने से रतौंधी दूर हो जाती है ।
39-कण्ठमाला में – 1 छोटा चम्मच हल्दी चूर्ण को तिल के तैल में भूनकर रुई का फाहा तर करलें और गिल्टियों पर रखते हुए रूमाल सा गले के चारों ओर बाँधलें। 1-2 दिन में ही कण्ठमाला के सारे मनके मुरझाकर बिखर जायेंगे। साथ ही 1 चम्मच हल्दी चन्दन की भांति घिसकर आधा चम्मच का गिल्टियों पर लेप करलें और आधा-आधा चम्मच 250 ग्राम पानी में उबालकर दूध की तरह फेंटकर जब झाग बन जायें तब गुनगुना ही घूट भरकर 15 मिनट तक गरारे कर लिया करें।
40- चश्मा- हल्दी और नीम के अंकुर बराबर मात्रा में पीसलें। इसे पीपल के दूध में 5 दिन खरल करें (पीपल का दूध प्रतिदिन ताजा डालें) सातवें दिन से इसे सुरमें की भाँति आँखों में सलाई से लगायें । मात्र 4 सप्ताह के प्रयोग से दृष्टि तीव्र होकर पुतलियाँ स्वच्छ और निर्मल हो जायेंगी और चश्मा (नजर का) उतारकर फेंकने को मजबूर हो जाएंगे।
41-कान बहना – ताजा हल्दी की 2 गाँठे पीसकर सरसों के तैल में भून लें । फिर यह तैल निथारकर शीशी में सुरक्षित रखलें । इसे चाहें तो रुई की बत्ती से कान में लगायें या 2-2 बूंद गरम करके कानों में टपकायें । (हल्दी तेल जब भी कानों में डालें तो गरम करके गुनगुना ही डालें ठण्डा कदापि न डालें) कान बहने, मवाद आने का यह शर्तिया सस्ता इलाज है । 10-15 दिनों में घाव भरकर मवाद सूखकर कान निरोगी हो जायेंगे ।
42-कामला – पिसी हल्दी तीन ग्राम फंकी मारकर गाय के दूध के दही की बनी छाछ आधा किलो पीलें । गर्मी के मौसम में स्नान के लिए पानी को कुछ देर धूप में रखें तथा सर्दियों में पानी गरम करके स्नानोपरान्त गीले तौलिया से बदन को मलकर पोंछे, ताकि शरीर के रोयें में खुलकर रोग जल्दी ही दूर हो जाए। तेल, खटाई, मिठाई, मिर्च-मसालों का सेवन छोड़ दें । अथवा हल्दी और दारु हल्दी पीसकर शीशी में रखें । इसकी दो-दो सलाई सुबह-शाम आँखों में लगायें । यह कामला का सौ प्रतिशत सफल टोटका टाइप इलाज है । अथवा जब तक पूर्णरूपेण कामला नष्ट न हो जाए तब तक प्रतिदिन प्रात:काल में निराहार दो ग्राम हल्दी 25 ग्राम ताजा । मक्खन के साथ निगलकर 1 गिलास छाछ पिया करें । गुणकारी योग है।
43-काली खाँसी-भुनी हल्दी 1 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में 4 बार चाटे अथवा सितोपलादि चूर्ण सममात्रा में हल्दी चूर्ण मिलाकर सुरक्षित रखलें । इसे 1-1 ग्राम की मात्रा में मिलाकर चाटते रहने से काली खांसी छू मन्तर हो जाती है । पान खाने के शौकीन पान में मुलहठी के स्थान पर भुनी हल्दी का चूर्ण रखकर दिन में 4 बार पान खाकर काली खाँसी से आसानी से निजात पा सकते हैं।
44-कोढ़- कोढ़ फूटते ही तत्काल हल्दी का तेल लगायें (हल्दी और सरसों बराबर मात्रा में लेकर देशी कोल्हू से तैल निकलवालें, यही हल्दी तैल है । अथवा हल्दी टिंचर व्यवहार में लायें । (1 बोतल मेंथेलिटेड स्पिरिट लेकर इसमें 125 ग्राम हल्दी चूर्ण डाल दें तथा ढक्वन लगाकर बन्द करके 3-4 दिनों तक धूप में रखें, यही हल्दी का टिंचर है । यह तुरन्त सूख भी जाता है, अत: कपड़ों पर दाग नहीं लगते हैं।
45- खाज-खुजली- हल्दी पीसकर शहद मिलाकर जंगली बेर (झाऊ बेर) के समान गोलियां बनाकर सुरक्षित रखलें । 2-2 गोली सुबह-शाम चूसने से रक्त विकार नष्ट होकर खाज-खुजली नष्ट हो जाती है ।
46-प्रति सप्ताह अथवा महीने में 1 बार हल्दी और बेसन को सरसों के तेल में गूंथकर शरीर पर मलते रहने से खाज-खुजली कभी नहीं होती है ।
47-खाँसी में – 1-1 ग्राम के हल्दी के टुकड़े दिन भर चूसें तथा सोते समय भी मुख में रखे हुए ही सो जायें। यदि गले में खराश के साथ खाँसी के उसके उठ रहे हों तो हल्दी की गांठ गरम राख में दबाकर भूनलें । इसे ढाई, तीन ग्राम की मात्रा में भोजन के बाद दोपहर और शाम को चम्मच भर शहद में घोलकर अंगुली के पोर से चाटें । मात्र दो दिन के प्रयोग से चंगे हो जायेंगे।
48-खूनी बबासीर में –बकरी के दूध की लस्सी के साथ अथवा ताजा पानी से तीन ग्राम हल्दी की फैकी सुबह-शाम 2-3 सप्ताह मारकर चमत्कार खुद देखें।
49-गठिया में –1 किलो हल्दी की गर्म राख (भूभल) में भूनकर साफ कर पीसलें। इसमें सूखा गोला और 1 किलो गुड़ तथा रोगी के दाँत हों और चबा सकता हो तो 250 ग्राम काजू या मूंगफली के दाने डालकर लड्डू बनाकर रखलें । यह 1-1 लड्डू सुबह-शाम खाकर आयुर्वेदिक चाय पियें
50-आधा चम्मच हल्दी पावडर को पानी में अच्छी तरह से घोलकर दिन में कम से कम दो बार जरूर लें। दिल, लीवर, फेफड़ों के लिए इससे बेहतर कोई दूसरा टॉनिक नहीं है।
51- चोट- यदि चोट बन्द (गुम) हो तो गुनगुने दूध में 2 से 4 ग्राम तक हल्दी चूर्ण मिलाकर पीना अतीव गुणकारी है ।
(वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)
हल्दी के नुकसान : haldi ke nuksan
स्वस्थ व्यक्ति को हल्दी का सेवन 7 दिन से अधिक नियमित नही करना चाहिए।
शुगर (Diabetes) के रोगी के लिए हल्दी का सेवन लाभदायक है लेकिन इसके ज्यादा सेवन से ब्लड शुगर (blood sugar) में काफी कमी आ सकती है ।
अगर रोगी को पीली चीजों से एलर्जी है तो उन्हें हल्दी का इस्तेमाल सोच समझ कर करना चाहिये ।
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